
2025 में राजस्थान में बाढ़ की स्थिति चिंताजनक रही. जुलाई से शुरू हुई भारी बारिश ने रेगिस्तानी इलाकों जैसे बाड़मेर, जोधपुर और जैसलमेर को प्रभावित किया. 13-16 जुलाई के बीच पूर्वी राजस्थान, खासकर जयपुर, कोटा और भरतपुर में 135% अधिक बारिश हुई, जिससे बाढ़ जैसे हालात बने.
सड़कें जलमग्न हुईं, घरों में पानी घुसा और कई गांवों का संपर्क टूट गया. मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया, जबकि SDRF ने लोगों को बचाया. यह बदलते जलवायु का संकेत है, जिससे फसलों और बुनियादी ढांचे को नुकसान हुआ. सरकार राहत कार्य में जुटी है.
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राजस्थान के बदलते मौसम के मुख्य बिंदु
- शोध से पता चलता है कि राजस्थान के रेगिस्तान में हर साल बाढ़ आना भारत में जलवायु परिवर्तन का संकेत हो सकता है.
- पिछले पांच वर्षों (2020-2024) में, रेगिस्तानी इलाकों में कई बार बाढ़ आई है, जैसे 2024 में अगस्त में और 2021 में अगस्त में.
- बारिश के पैटर्न में बदलाव, जैसे भारी बारिश वाले दिनों में वृद्धि, जलवायु परिवर्तन का संभावित कारण हो सकता है.
- इसका प्रभाव जीवन, संपत्ति, कृषि और बुनियादी ढांचे पर पड़ रहा है.
यहां नीचे देखिए भीलवाड़ा में हाल ही हुई बारिश के बाद का Video
पिछले पांच वर्षों की बाढ़ की घटनाएं
राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में पिछले पांच वर्षों में बाढ़ की कई घटनाएं हुई हैं. 2024 अगस्त में भारी बारिश ने रेगिस्तानी इलाकों में गंभीर बाढ़ की स्थिति पैदा की, जिसमें कच्छ और राजस्थान के हिस्सों को प्रभावित किया गया. 2023 जुलाई में तीव्र मानसूनी बारिश ने पूर्वी और केंद्रीय राजस्थान को प्रभावित किया, जिससे रेगिस्तानी इलाकों पर भी असर पड़ा.
2021 अगस्त में जालौर, सिरोही और बाड़मेर जिलों में बाढ़ जैसी स्थिति थी, जिसमें 59 लोगों को बचाया गया. 2020 और 2022 के लिए विशिष्ट डेटा उपलब्ध नहीं है, लेकिन सामान्य रूप से राजस्थान में बारिश और बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है. इन घटनाओं से स्पष्ट है कि राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में बाढ़ की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि हुई है, जो पारंपरिक रूप से सूखे और कम बारिश वाले क्षेत्र के रूप में जाने जाते हैं.
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भारत में जलवायु परिवर्तन के संकेत
भारत में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है, विशेष रूप से बारिश के पैटर्न में…
- बारिश के पैटर्न में परिवर्तन: भारतीय मौसम विभाग (IMD) के 1989-2018 के डेटा के अनुसार, ‘भारी बारिश’ (65 मिमी से अधिक) वाले दिनों की संख्या में वृद्धि हुई है. खासकर पश्चिमी राजस्थान में. यह दर्शाता है कि अब कम दिनों में अधिक बारिश हो रही है, जो बाढ़ का कारण बनती है.
- वर्षा की मात्रा में वृद्धि: 2016 में पश्चिमी राजस्थान में 18 दिनों तक बारिश हुई. एक दिन में 120 मिमी से अधिक वर्षा दर्ज की गई. 2006 में बाड़मेर जिले में अगस्त के आखिरी सप्ताह में 750 मिमी बारिश हुई, जो उसके औसत वार्षिक वर्षा (277 मिमी) से पांच गुना अधिक थी, जिससे 300 से अधिक मौतें हुईं.
- भविष्यवाणियां: मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के 2013 के शोध के अनुसार, 2020-2049 के दौरान पश्चिमी राजस्थान में वर्षा 20-35% तक और पूर्वी राजस्थान में 5-20% तक बढ़ सकती है, जो 1970-1999 के डेटा से तुलना करके कहा गया है. स्विस एजेंसी फॉर डेवलपमेंट एंड कोऑपरेशन की 2009 की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2071-2100 तक एक दिन की वर्षा 20 मिमी तक और पांच दिनों की वर्षा 30 मिमी तक पहुंच सकती है.
- चक्रवातों की वृद्धि: भारतीय महासागर में चक्रवातों की संख्या और तीव्रता में वृद्धि हुई है, जैसे 2021 में चक्रवात बिपर्जॉय, जो राजस्थान में भारी बारिश और बाढ़ का कारण बना.
ये सभी संकेत दर्शाते हैं कि भारत का जलवायु बदल गया है. राजस्थान जैसे सूखे क्षेत्रों में भी बारिश और बाढ़ की घटनाएं बढ़ रही हैं.

जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
जलवायु परिवर्तन के कारण हो रही बाढ़ों का प्रभाव गंभीर है…
- जीवन और संपत्ति का नुकसान: 2006 की बाड़मेर बाढ़ में 300 से अधिक लोगों की मौत हुई. 2024 और 2023 की बाढ़ों में भी जानमाल का नुकसान हुआ, जिससे स्थानीय समुदायों पर दबाव बढ़ा.
- बुनियादी ढांचे पर दबाव: सड़कें, रेल पटरियां और अन्य बुनियादी ढांचे बाढ़ से नष्ट हो जाते हैं, जिससे आर्थिक गतिविधियां ठप हो जाती हैं. 2023 में सड़कें और रेल पटरियां बाढ़ से प्रभावित हुईं, जिससे परिवहन बाधित हुआ.
- कृषि पर असर: अत्यधिक वर्षा और बाढ़ फसलों को नुकसान पहुंचाती हैं, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. रेगिस्तानी इलाकों में, जहां कृषि पहले से ही चुनौतीपूर्ण है. यह और भी गंभीर समस्या है.
- पारिस्थितिकी तंत्र पर दबाव: रेगिस्तानी इलाकों में अचानक बाढ़ पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाती है, जिससे जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधनों पर असर पड़ता है. यह लंबे समय में क्षेत्र की पर्यावरणीय स्थिरता को प्रभावित कर सकता है.
राजस्थान के रेगिस्तान में हो रही बाढ़ भारत में जलवायु परिवर्तन का एक स्पष्ट संकेत हैं. पिछले पांच वर्षों (2020-2024) में यहां लगातार बाढ़ आई हैं, जिनमें 2024 और 2021 विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं. यह परिवर्तन बारिश के पैटर्न में आ रहा है, जहां भारी बारिश वाले दिनों की संख्या और वर्षा की मात्रा दोनों में वृद्धि हुई है.
भविष्य की भविष्यवाणियां भी इस तरह की घटनाओं में और वृद्धि की चेतावनी देती हैं. इस स्थिति से निपटने के लिए राजस्थान को अपनी जलवायु कार्रवाई योजना (Climate Action Plan) को अपडेट करने और बाढ़ प्रबंधन पर ध्यान देने की आवश्यकता है. साथ ही, वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए अधिक प्रयास करना भी जरूरी है, जैसे कार्बन उत्सर्जन कम करना और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना.
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