
Electricity Futures Trading: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) जुलाई, 2025 में नकद-निपटान वाला मासिक बिजली वायदा अनुबंध शुरू करेगा. NSE में सस्टेनिबिलिटी, पावर/कार्बन मार्केट और लिस्टिंग के हेड हरीश आहूजा ने मनीकंट्रोल को इसकी जानकारी दी है.
बता दें कि बिजली वायदा या इलेक्ट्रिसिटी फ्यूचर्स एक फाइनेंशियल कॉन्ट्रैक्ट है. इसमें निवेशक या हेजर पहले से बिजली की कीमतें तय कर उसे भविष्य के लिए लॉक कर देते हैं. ऐसे में अगर आने वाले समय में बिजली की स्पॉट कीमतें बढ़ती हैं, तो इससे फ्यूचर्स खरीदने वाले को मुनाफा होगा. ट्रेडिंग मेंबर से लेकर कॉर्पोरेट बायर, जनरेटर, व्यापारी या सेबी की तरफ से अप्रूव्ड कोई भी फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन Electricity Futures की ट्रेडिंग शुरू कर सकता है.
वायदा बाजार में कम होगी बिजली की कीमत
हरीश आहूजा ने मनीकंट्रोल से बात करते हुए कहा, सामान्य सप्लाई और डिमांड कर्व के अलावा स्पॉट मार्केट में एनर्जी एक्सचेंज भी डेस्परेशन से प्रेरित होता है. इससे बिजली की कीमतों में अस्थिरता पैदा हो सकती है. वायदा बाजार हाजिर बाजार में अस्थिरता को कम करने में मदद करती है. इससे निवेशकों को बचने का एक रास्ता मिल जाता है इसलिए आखिरकार हमें वायदा बाजार में बिजली की कीमतों में कमी देखने को मिलेगी. पीक डिमांड के दौरान या सप्लाई या डिमांड में बैलेंस बिगड़ने पर भारत के बिजली एक्सचेंजों में हाजिर कीमतों में उछाल आ सकता है.
कितनी होगी ट्रेडिंग की लॉट साइज?
बिजली वायदा के लिए लॉट साइज या ट्रेडिंग यूनिट 50 MWh होगी, जो 50,000 यूनिट बिजली के बराबर है. यानी कि हर एक कॉन्ट्रैक्ट 50 MWh का होगा. अधिकतम ऑर्डर साइज ट्रेडिंग यूनिट का 50 गुना होगा। ट्रेडिंग सोमवार से शुक्रवार तक सुबह 9 बजे से 11:30 / 11:55 बजे के बीच होगी. इसमें ट्रेडिंग विंडो देर रात तक रखी गई है क्योंकि शाम के समय हाजिर बाजार की मांग में तेजी देखी जाती है.
इस तरह से होगा मुनाफा
कुल मिलाकर कहें, तो यह एक डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट है, जिसमें खरीदार और विक्रेता एक निश्चित तिथि पर एक निश्चित मूल्य पर बिजली खरीदने या बेचने के लिए सहमत होते हैं. इसके जरिए बिजली उत्पादक और सप्लायर्स दोनों आने वाले समस में कीमतों में उतार-चढ़ाव के जोखिम को कम करने के लिए पहले से ही बिजली की कीमतें तय कर लेते हैं. मान लीजिए कि अगर किसी बिजली उत्पादक को अगले महीने 100 मेगावाट बिजली की सप्लाई करनी है और वह वायदा बाजार में एक Electricity Futures कॉन्ट्रैक्ट खरीदता है, जिसमें अगले महीने सप्लाई होने वाली बिजली की कीमत पहले से ही तय कर दी जाती है. ऐसे में अगले महीने बिजली की कीमत बढ़ने पर उसे मुनाफा होगा.
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