
ईरान और इजरायल के बीच 12 दिन तक चला खूनी संघर्ष 24 जून (मंगलवार) को आधिकारिक रूप से समाप्त हो गया. इसके बाद दोनों देशों ने अपने-अपने हताहतों के आंकड़े जारी किए हैं, जिससे इस टकराव की भयावहता सामने आई है.
ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय के जनसंपर्क प्रमुख हुसैन केर्मानपोर ने सोशल मीडिया पर बताया कि 13 जून से जारी इज़रायली हमलों में ईरान में 610 लोगों की मौत हुई, जबकि 4746 लोग घायल हुए हैं.
वहीं, इज़रायली सेना के अनुसार ईरान ने इस संघर्ष के दौरान 500-550 बैलिस्टिक मिसाइलें और 1,000 से ज्यादा ड्रोन दागे, जिससे इज़रायल में 28 लोगों की जान गई और भारी तबाही हुई. इस संघर्ष से सैकड़ों घर तबाह हो गए और दर्जनों स्ट्रक्चर क्षतिग्रस्त हो गए, जिससे कई लोग बेघर भी हो गए.
बता दें कि ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियन ने मंगलवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि यह संघर्ष, जिसे इज़रायल ने शुरू किया था, अब समाप्त हो चुका है और उन्होंने सरकारी एजेंसियों से अपील की कि अब पुनर्निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जाए.
इसी दिन उन्होंने मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम से फोन पर बातचीत करते हुए कहा कि ईरान संघर्ष विराम बनाए रखने के लिए तैयार है, अगर इज़रायल भी इसका पालन करता है. साथ ही उन्होंने यह भी दोहराया कि ईरान वार्ता की मेज पर लौटने और अपने नागरिकों के वैध अधिकारों की रक्षा करने को तैयार है.
इधर, इज़रायल डिफेंस फोर्सेज (IDF) ने भी मंगलवार को बयान जारी किया कि सेना प्रमुख एयाल ज़ामीर ने अब रणनीतिक ध्यान गाज़ा पर केंद्रित करने की घोषणा की है. अब इज़रायली सेना की प्राथमिकता होगी- बंधकों को छुड़ाना और हमास के शासन को खत्म करना.