
चिरंजीवी भव, आयुष्मान भव, दीर्घायु हो… आशीर्वाद देने के लिए इन शब्दों का चयन ही बताता है कि सुदीर्घ जीवन की चाहत प्राचीन काल से ही रही है. सुदीर्घ जीवन यानी कि सेहतमंद जिंदगी. जब मनुष्य के पास लंबे समय तक युवाओं जैसी ऊर्जा और सक्रियता हो. चिर यौवन की चाहत यही है.
चिर यौवन की इस चाहत पर अब विज्ञान भी गंभीरता से काम कर रहा है. विज्ञान में इस प्रोजेक्ट को साइंटिफिक नाम दिया गया है- एंटी एंजिग (Anti aging). एजिंग अर्थात उम्र बढ़ने की प्रक्रिया और एंटी एजिंग का अर्थ है उम्र बढ़ने (aging) की प्रक्रिया को धीमा करना.
एंटी-एजिंग वह प्रक्रिया, तकनीक या उपाय है जिसका उद्देश्य आपके आयु बढ़ने की गति को धीमा कर देना, रोकना अथवा इसके प्रभावों को कम करना है.
इस प्रक्रिया में उम्र बढ़ने की वजह से शारीरिक, मानसिक और त्वचा संबंधी होने वाले बदलावों को कम करने की कोशिश की जाती है. ये बदलाव बढ़ते उम्र के साथ आते हैं.
एंटी एजिंग में गूगल की रूचि
एक पैकेज के रूप में एंटी एजिंग शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने और चिर यौवन की चाहत को साकार करने का प्रयास है. यह जैव प्रौद्योगिकी, जेनेटिक इंजीनियरिंग, और जीवनशैली प्रबंधन का मिश्रण है, जो मृत्यु को तकनीकी चुनौती मानता है. कुछ ऐसी ही राय दिग्गज लेखक और सैपियंस पुस्तक के लेखक युवाल नोआ हरारी की भी है.
गूगल का एक गुमनाम सा प्रोजेक्ट उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को प्रकृति के सबसे बड़े रहस्यों में से एक बताता है. और इस प्रोजेक्ट पर अरबों डॉलर निवेश कर रहा है.
कैलिको लैब्स (calicolabs) नाम की कंपनी इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. कैलिको लैब्स गूगल की सब्सिडरी है.
ग्लूटाथियोन की सुई, कोलेजन के सप्लीमेंट्स और शेफाली जरीवाला की मौत
एंटी एजिंग पर कैलिकोलैब्स का काम समझने से पहले ‘कांटा लगा’ गर्ल शेफाली जरीवाला की मौत से जुड़ी खबर समझना जरूरी है.
पिछले दिनों जब ये दुखद खबर आई कि अपने एक ही वीडियो एलबम से पॉपुलरिटी की शिखर पर पहुंचने वाली अभिनेत्री शेफाली जरीवाला नहीं रहीं तो लोग चौक गए. इस खबर से जुड़े फॉलोअप बताते हैं कि शेफाली जरीवाला एंटी एजिंग प्रोडक्ट का इस्तेमाल कर रही थीं. रिपोर्ट में कहा गया है कि शेफाली ने धार्मिक कार्यों की वजह से उपवास रखने के बावजूद एंटी एजिंग दवाइयां लीं.
इसके अलावा उन्होंने Glutathione की सूई भी ली. ग्लूटाथियोन को अक्सर त्वचा को दमकदार बनाने वाले और डिटॉक्सिफाइंग करने वाले एजेंट के रूप में बेचा जाता है. यूं तो ये चीज शरीर में प्राकृतिक रूप से बनती है. लेकिन जवां दिखने की दीवानगी के कारण कई लोग ग्लूटाथियोन की उच्च डोज वाली इंजेक्शन लेते हैं. लेकिन बिना डॉक्टरी सुपरविजन के. ऐसी स्थिति में ये दवा जानलेवा हो सकती है.
पुलिस अधिकारियों के अनुसार शेफाली जरीवाला ग्लोइंग स्किन के लिए मल्टीविटामिन और कोलेजन सप्लीमेंट्स का सेवन भी कर रही थीं. उनकी मौत की स्पष्ट वजह अभी सामने नहीं आ पाई है. लेकिन शेफाली एंटी एजिंग दवाएं ले रही थीं. ये स्पष्ट हो गया है.
बुढ़ापा को रोकने पर गूगल का काम
कैलिको अपने बारे में बताते हुए कहती है कि यह (कैलिको लाइफ साइंसेज एलएलसी) अल्फाबेट द्वारा स्थापित एक अनुसंधान और विकास कंपनी है. इसका मिशन इंसान की उम्र में होने वाली बढ़ोतरी के जीव विज्ञान को समझना है. इसके लिए ये कंपनी अत्याधुनिक तकनीक और मॉडल सिस्टम का इस्तेमाल कर रही है.
इस कंपनी का कहना है कि हम अपने समय के सबसे चुनौतीपूर्ण जैविक प्रश्नों का उत्तर देने के लिए काम कर रहे हैं – मनुष्य कैसे बूढ़ा होता है और हम लोगों को लंबा, स्वस्थ जीवन जीने में सक्षम बनाने के लिए हस्तक्षेप कैसे विकसित कर सकते हैं.
इस प्रक्रिया को संभव बनाने के लिए कैलिको लैब्स स्टेम सेल रिसर्च, जीन एडिटिंग (जैसे CRISPR) में अनुसंधान और निवेश कर रहे हैं. कैलिको लैब्स का काम उम्र के साथ होने वाली कोशिका की क्षति, मांसपेशियों के क्षय (Muscle loss) को ठीक करना है. ताकि जीवनकाल बढ़ाया जा सके.
गूगल का कैलिको लैब बताता है कि हमारे बुनियादी शोध प्रयोगशालाओं में वैज्ञानिक यह समझने के लिए काम कर रहे हैं कि जीवों की उम्र कैसे बढ़ता है, इसके लिए कैलिको लैब में पूरे जीव, अंगों और ऊतकों और व्यक्तिगत कोशिकाओं का अध्ययन किया जाता है.
इन शोध प्रयासों के माध्यम से कैलिको के वैज्ञानिक खमीर, सी. एलिगेंस (कीड़े), चूहों और मानव कोशिकाओं और ऊतकों जैसे जीवों का अध्ययन करके उम्र बढ़ने के जैविक आधार को समझने का काम करते हैं.
कैलिको के अनुसार रिसर्चर विशेष रूप से कम्प्यूटेशनल जीवविज्ञानी ह्युमन जेनेटिक डाटा को गहराई से समझने का प्रयास कर रहे हैं. इनके प्रयोगशालाओं में न्यूरोडीजेनेरेशन,मेटाबॉलिक बीमारियों, किडनी, कैंसर और व्हाइट मैटर पर काम हो रहा है.
अगर हम मोटे-मोटे शब्दों में कहें तो कैलिको लैब्स पर ये अध्ययन हो रहे हैं.
IL-11 सिग्नलिंग पर शोध: कैलिको ने 2025 में 9MW3811 नामक दवा पर $596 मिलियन का सौदा किया, ये सूजन और टिश्यू लॉस पर काम कर रहा है.
सेलुलर रिजनरेशन और सेनोलिटिक्स: कैलकि सेनेसेंट कोशिकाओं (जो उम्र बढ़ने के साथ जमा होती हैं और ऊतक क्षति का कारण बनती हैं) को हटाने पर काम कर रही है. सेनोलिटिक दवाएं इन कोशिकाओं को टारगेट कर ऊतक पुनर्जनन को बढ़ावा देती हैं, जिससे उम्र-संबंधी बीमारियां जैसे हृदय रोग और अल्जाइमर कम हो सकते हैं.
माइटोकॉन्ड्रियल फंक्शन: कैलिको माइटोकॉन्ड्रिया के कार्य को बेहतर बनाने पर शोध कर रही है. उम्र बढ़ने के साथ माइटोकॉन्ड्रियल दक्षता कम होती है, जिसे ठीक करने के लिए नई दवाएं और थेरेपी विकसित की जा रही हैं.
जेनेटिक और मॉलिक्यूलर पाथवे: कैलिको जेनेटिक म्यूटेशन और मॉलिक्यूलर पाथवे (जैसे mTOR और SIRT1) का अध्ययन करती है, जो दीर्घायु और सेलुलर मरम्मत से जुड़े हैं. इसका लक्ष्य इन पाथवे को मॉड्यूलेट कर उम्र बढ़ने को धीमा करना है.
AI और डेटा विश्लेषण: गूगल की विशेषज्ञता का उपयोग कर कैलिको जैविक डेटा का विश्लेषण करती है ताकि उम्र बढ़ने के पैटर्न को समझा जाए और व्यक्तिगत उपचार विकसित किए जाएं.
जेफ बेजोस ने भी लगाया है पैसा
एंटी एजिंग के इस बिजनेस में दुनिया की कई और कंपनियां पैसा लगा रही हैं. ऐसी ही एक कंपनी अल्टोस लैब्स है. अल्टोस लैब्स एक बायोटेक स्टार्टअप है, जो सेलुलर ट्रांसफॉर्मेशन प्रोग्रामिंग में अनुसंधान करता है. इसके सह-संस्थापक रिक क्लाऊसनर, हंस बिशप और हैल बैरन हैं. इस प्रोजेक्ट में जेफ बेजोस की कंपनी अमेजॉन ने भारी भरकम निवेश किया है. यह कंपनी सेलुलर रिजुवनेशन पर काम करती है. इसका लक्ष्य कोशिकाओं के क्षय को रोकना है. यह कंपनी 2022 में $3 बिलियन के निवेश के साथ शुरू हुई है.
युवाल नोआ हरारी का रिसर्च
युवाल नोआ हरारी ने अपनी किताब “होमो डियस: अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टुमॉरो” में एंटी-एजिंग के विषय पर लंबी चर्चा की है. हरारी का तर्क है कि आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी विशेष रूप से बायोटेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मानव जीवन को लंबा करने और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने या उलटने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.
हरारी लिखते हैं कि 21वीं सदी में मृत्यु और उम्र बढ़ने को अब केवल जैविक या प्राकृतिक प्रक्रिया नहीं माना जा रहा, बल्कि इसे एक ऐसी तकनीकी समस्या के रूप में देखा जा रहा है जिसे विज्ञान हल कर सकता है. इस काम में बायोटेक्नोलॉजी, जेनेटिक इंजीनियरिंग, और रीजेनरेटिव मेडिसिन जैसे क्षेत्रों में हो रही प्रगति से वैज्ञानिक उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को समझ पा रहे हैं और इसमें जैविक दखल देने की कोशिश कर रहे हैं.
बेहद सफल पुस्तक सैपियंस लिखकर चर्चा में आए हरारी चर्चा करते हैं कि 21 वीं सदी में पूंजी की उपलब्धता अमरता (immortality) या कम से कम अमरता की खोज (quest for immortality) मानवता का एक प्रमुख लक्ष्य बन सकता है.
हालांकि उनका तर्क यह भी है कि यह खोज समाज में असमानता को और बढ़ा सकती है, क्योंकि केवल अमीर लोग ही ऐसी तकनीकों का लाभ उठा पाएंगे.
इस पुस्तक में एंटी-एजिंग को एक तकनीकी क्रांति के रूप में प्रस्तुत किया गया है, लेकिन इसका एक दार्शनिक पक्ष भी है जो नैतिकता के सवाल को भी उठाता है.